Find here Notes on the poem “पहली बूंद” (Pahli Boond) by Gopalkrishna Kaul, featured in the CBSE Class 6 NCERT Hindi textbook ‘Malhar’. These notes include a summary, central idea, poetic devices, and the message of the poem ‘Pahli Boond’, presented in simple language for students studying the NCERT Hindi textbook ‘Malhar’.
गोपालकृष्ण कौल की कविता "पहली बूंद" पर नोट्स यहाँ दिए गए हैं। यह कविता 'पहली बूंद' सीबीएसई कक्षा 6 एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक 'मल्हार' में छपी हुई है। इन नोट्स में कविता का सारांश, केंद्रीय विचार, काव्यात्मक उपकरण और कविता 'पहली बूंद' का संदेश आदि शामिल है। ये सब अध्ययन सामग्री एनसीईआरटी कक्षा 6 के लिए हिंदी पाठ्यपुस्तक 'मल्हार' पाठ्यपुस्तक का अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया की गई है।
कविता : पहली बूँद 🌧️🌱
वह पावस का प्रथम दिवस
जब पहली बूँद धरा पर आई।
अंकुर फूट पड़ा धरती से,
नव-जीवन की ले अंगड़ाई।धरती के सूखे अधरों पर,
गिरी बूँद अमृत-सी आकर।
वसुंधरा की रोमावलि-सी,
हरी दूब पुलकी-मुसकाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर।
बजा नगाड़े जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।नीले नयनों-सा यह अंबर,
गोपालकृष्ण कौल
काली पुतली-से ये जलधर।
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर,
धरती की चिर-प्यास बुझाई।
बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला
बनने को फिर से ललचाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
पहली बूंद कविता का सारांश 🌧️🌱
कवि गोपालकृष्ण कौल ने इस कविता में बारिश की पहली बूँद के धरती पर गिरने का सुंदर दृश्य दिखाया है। जब पहली बूँद सूखी धरती पर गिरती है, तो धरती में छुपा हुआ नया जीवन जाग उठता है। धरती से छोटे-छोटे अंकुर फूटने लगते हैं और हरियाली छा जाती है।
कवि धरती को एक प्यारी माँ की तरह दिखाते हैं, जिसके सूखे होंठों पर बारिश की बूँद अमृत की तरह गिरती है और धरती मुस्कुरा उठती है।
फिर कवि बताते हैं कि कैसे समुद्र का पानी भाप बनकर आकाश में उड़ता है और सुनहरे बादलों में बदल जाता है। ये बादल नगाड़े की तरह गरजते हैं और धरती को फिर से जवान बना देते हैं।
अंत में, कवि ने आकाश और बादलों की तुलना नीली आँखों और काली पुतली से की है। जब बादल दया से भरकर बरसते हैं, तो धरती की गहरी प्यास बुझ जाती है। बारिश के बाद धरती फिर से हरी-भरी हो जाती है, खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं, और चारों ओर जीवन, हरियाली और खुशी फैल जाती है।
इस तरह, यह कविता प्रकृति में होने वाले सुंदर बदलाव और नये जीवन की शुरुआत का मधुर चित्रण करती है।
English Summary of ‘Pahli Boond’ Poem
In this poem, poet Gopalkrishna Kaul describes the beautiful scene of the first drop of rain falling on the dry earth. When the first raindrop touches the ground, new life wakes up inside the earth. Tiny sprouts come out of the soil, and greenery starts spreading everywhere.
The poet shows the earth like a loving mother.
When the first raindrop falls, it feels like nectar touching the earth’s dry lips, and the earth smiles happily.
The poet also explains how the water from the sea turns into vapours, flies up into the sky, and forms golden clouds. These clouds roar like big drums and wake up the sleeping youthfulness of the earth.
In the end, the poet compares the sky to blue eyes and the clouds to black pupils. The clouds shed tears of kindness (rain), and the deep thirst of the earth is satisfied. After the rain, the earth becomes green and lively again with beautiful crops.
Thus, the poem shows the beauty of nature’s renewal and the happiness that the first rain brings to the world.
बच्चों के लिए सरल व्याख्या संक्षेप में इस तरह से है: 🌧️🌱
“बच्चों, यह कविता हमें बताती है कि जब बारिश की पहली बूँद धरती पर गिरती है,
तो सूखी-सूखी धरती हरी हो जाती है।
छोटे-छोटे पौधे मिट्टी से बाहर आ जाते हैं।
जैसे धरती को नया जीवन मिल जाता है।बादल आसमान में गरजते हैं, जैसे ढोल बजा रहे हों।
वे बरस कर धरती की प्यास बुझा देते हैं।
फिर खेतों में फसलें उगने लगती हैं और सब कुछ हरा-भरा हो जाता है।इस कविता में धरती को माँ की तरह दिखाया गया है, जो बारिश से खुश हो जाती है।
कविता हमें सिखाती है कि बारिश का एक छोटा क़तरा भी बड़ी ख़ुशी ला सकता है।“
“यह कविता बारिश की पहली बूँद से धरती पर आने वाली हरियाली और खुशी का सुंदर चित्र दिखाती है।”
कविता ‘पहली बूंद’ का केन्द्रीय भाव (Central Idea)
- यह कविता बारिश की पहली बूँद के धरती पर गिरने का सुंदर और भावनात्मक चित्र प्रस्तुत करती है।
- इसमें ‘पहली बूंद’ को एक उम्मीद और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव भी झलकता है।
- कवि दिखाते हैं कि कैसे पहली बूँद गिरते ही धरती पर नया जीवन आ जाता है।
- सूखी धरती हरियाली से भर जाती है और छोटे-छोटे अंकुर बाहर निकल आते हैं।
- समुद्र से पानी उड़कर बादल बनता है, और ये बादल गर्जना करते हैं, जैसे नगाड़े बज रहे हों।
- जब बारिश होती है, तो धरती की प्यास बुझ जाती है और वह फिर से खुश और हरी-भरी हो जाती है।
- पूरी कविता में कवि ने प्रकृति की सुंदरता, परिवर्तन और जीवन का चक्र बड़ी कोमलता से दिखाया है।
पहली बूंद कविता का संदेश (Message of the Poem):
“बारिश की एक बूँद भी धरती को हरा-भरा बना देती है। यह कविता हमें प्रकृति के प्यार और जीवन की शुरुआत का सुंदर संदेश देती है।”
यह कविता हमें यह संदेश देती है कि
प्रकृति (धरती, पानी, बारिश) हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है।जब बारिश की पहली बूँद धरती पर गिरती है,
तो सूखी धरती हरी हो जाती है,
पौधे उगने लगते हैं और जीवन दोबारा मुस्कुराने लगता है।इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि —
प्रकृति में बहुत शक्ति है, वह सूखे को भी जीवन में बदल सकती है।इसलिए हमें प्रकृति से प्यार करना चाहिए,
और उसके साथ सम्मान और संवेदना से पेश आना चाहिए।
“पहली बूँद” कविता सिर्फ प्रकृति का वर्णन नहीं करती, बल्कि मानव जीवन से भी बहुत सुंदर रूप से जुड़ती है।
- धरती की प्यास = इंसान की तकलीफ़
➤ जिस तरह धरती सूखने पर प्यासी हो जाती है,
उसी तरह इंसान भी जब दुखी, थका हुआ या निराश होता है —
तो उसे भी थोड़ी “बरसात” यानी प्यार, आशा और राहत की जरूरत होती है। - बारिश की पहली बूँद = नई उम्मीद
➤ पहली बूँद जैसे धरती को हरा-भरा कर देती है,
वैसे ही हमारी ज़िंदगी में थोड़ी-सी उम्मीद, थोड़ा-सा प्यार,
नया जीवन और मुस्कान ला सकता है। - धरती का मुस्कुराना = मानव का फिर से खुश हो जाना
➤ जब धरती मुस्कुराती है,
तो वह हमें सिखाती है कि मुसीबत के बाद हमेशा अच्छा समय आता है।
“जैसे धरती पहली बूँद से हरी हो जाती है,
वैसे ही इंसान भी थोड़ी सी उम्मीद से फिर से मुस्कुरा सकता है।
यह कविता हमें सिखाती है कि छोटा बदलाव भी बड़ा असर ला सकता है।”
‘पहली बूँद’ कविता – मुख्य काव्य अलंकार (Major Poetic Devices)
नीचे “पहली बूँद” कविता में प्रयुक्त मुख्य काव्य अलंकारों (poetic devices) की सूची है। हर अलंकार का सरल सा मतलब और कविता से कम से कम एक-एक उदाहरण भी दिया गया है:
इन अलंकारों के ज़रिए कवि ने बारिश की पहली बूँद का दृश्य न केवल देखा, बल्कि महसूस भी कराया।
1. अनुप्रास अलंकार (Alliteration)
➔ एक ही ध्वनि (आवाज़) वाले अक्षरों का सुंदर बार-बार आना।
उदाहरण:
- “पावस का प्रथम” – (यहाँ ‘प’ ध्वनि का दोहराव है।)
- “नीले नयनों” – (यहाँ ‘न’ ध्वनि का दोहराव है।)
2. उपमा अलंकार (Simile)
➔ दो वस्तुओं की तुलना “जैसे” या “सा/सी” शब्दों से करना।
उदाहरण:
- “गिरी बूँद अमृत-सी” – पहली बूंद को अमृत समान बताया गया है।
- “नीले नयनों-सा यह अंबर” — आकाश को नीली आँखों से तुलना की गई।
- “काली पुतली-से ये जलधर” — बादलों को काली पुतली से तुलना की गई।
3. रूपक अलंकार (Metaphor)
➔ बिना “जैसे” कहे सीधा तुलना करना।
उदाहरण:
- “धरती के सूखे अधरों पर” — धरती के होंठों का चित्रण सीधे किया गया, धरती को एक इंसान जैसा बताया।
4. अतिशयोक्ति अलंकार (Exaggeration)
➔ किसी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
उदाहरण:
- “गिरी बूंद अमृत-सी आकर” — एक बूँद को अमृत के समान बताना अतिशयोक्ति है।
5. पुनरुक्ति अलंकार (Repetition)
➔ एक ही शब्द या भाव को बार-बार दोहराना।
उदाहरण:
- “पहली बूँध धरा पर आई।” — हर बंद के अंत में इस पंक्ति की पुनरावृत्ति हुई है।
8. मानवीकरण अलंकार (Personification)
➔ निर्जीव चीजों को इंसान की तरह प्रस्तुत करना।
उदाहरण:
- “नव-जीवन की ले अंगड़ाई” — जीवन को व्यक्ति की तरह अंगड़ाई लेते हुए दिखाया गया।
- “धरती की रोमावली-सी, हरी बूँद पुलकी-मुस्काई” — धरती को मुस्कुराते हुए बताया गया है।
6. उत्प्रेक्षा अलंकार (Imagery with suggestion)
➔ कल्पना करके किसी दृश्य को सुंदर बनाना।
उदाहरण:
- “धरती के सूखे अधरों पर गिरी बूँध अमृत-सी” — यहाँ कल्पना के द्वारा दिखाया गया कि जैसे धरती अमृत से तृप्त हो गई हो।
- “बजा नगाड़े जगा रहे हैं बाल धरती की तरुणाई।” — कल्पना की गई कि बादल नगाड़े बजाकर धरती को जगा रहे हैं।
7. श्लेष (Shlesh)
➔ एक ही शब्द से दोहरे अर्थ व्यक्त करना
उदाहरण:
“जलधर” ( जल+धर = जल रखने वाला; बादल)