Class 6 मातृभूमि Notes: Summary, Meanings, Central Idea

Chapter 1 मातृभूमि Poem Class 6 NCERT textbook मल्हार ‘Malhar’ written by Sohan Lal Dwivedi: The poem मातृभूमि Notes include summary, themes, central idea, word meanings, key points etc.

इस Educational Notes में हम सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार के पाठ 1 “मातृभूमि” का कविता सार, केन्द्रीय भाव, और कठिन शब्दों के अर्थ प्रस्तुत कर रहे हैं, जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये नोट्स इसलिए दिए गए हैं जिससे आप इस कविता ‘मातृभूमि, को भली-भांति समझ सकें।

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Class 6 मातृभूमि Notes: Summary, Central Idea, Meanings

सोहनलाल द्विवेदी का संक्षिप्त जीवन परिचय

सोहनलाल द्विवेदी (22 फरवरी 1906 – 1 मार्च 1988) हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि, स्वतंत्रता सेनानी और बाल साहित्य के जनक माने जाते हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील के सिजौली गाँव में एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित बिंदाप्रसाद द्विवेदी था।

द्विवेदी जी ने प्रारंभिक शिक्षा फतेहपुर में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से की। वहीं के राष्ट्रीय वातावरण और महामना मदन मोहन मालवीय के संपर्क में आकर उनके भीतर देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना का संचार हुआ। वे महात्मा गांधी के विचारों से अत्यंत प्रभावित थे और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई।

साहित्यिक योगदान

  • सोहनलाल द्विवेदी की कविताओं में ओज, देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना की झलक मिलती है। उन्होंने गांधीवाद, ग्राम्य जीवन, खादी, सत्य, अहिंसा और प्रेम जैसे विषयों पर कई प्रेरणादायक रचनाएँ लिखीं।
  • वे बच्चों के लिए भी अनेक कविताएँ लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसके कारण उन्हें “बाल साहित्य के जनक” भी कहा जाता है।
  • उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं: भैरवी, कुणाल, पूजा गीत, दूध-बताशा, बाँसुरी, चेतना, किसान, झरना, बाल-भारती, हँसो हँसाओ आदि।
  • उन्होंने ‘बालसखा’ (बाल साहित्य की पत्रिका) और ‘अधिकार’ (दैनिक पत्र) का संपादन भी किया।

सम्मान एवं पुरस्कार

  • हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1969 में पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया।
  • उनकी ओजस्वी और प्रेरणादायक रचनाओं के लिए उन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि भी दी गई।

निधन

सोहनलाल द्विवेदी का निधन 1 मार्च 1988 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य और राष्ट्रप्रेम के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत हैं।


मातृभूमि कविता

आइए, विस्तार से सीबीएसई कक्षा 6 “मातृभूमि” कविता को मातृभूमि कविता- नोट्स सामग्री की मदद से समझने का प्रयास करते हैं।

सबसे पहले कविता को देखते ओर पढ़ते है।


शब्दार्थ – कविता ‘मातृभूमि’

  • सिंधु – समुद्र
  • नित – प्रतिदिन, रोज़
  • सुयश – प्रसिद्‌धि, कीर्ति, ख्याति
  • पग – चरण
  • अमराइयाँ – आम का बगीचा
  • जगमग – चमकदार
  • छहरना – बिखरना
  • पुनीत – पवित्र
  • रघुपति – दशरथ पुत्र राम
  • त्रिवेणी – तीन नदियों का संगम ( गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम जो प्रयाग, इलाहाबाद में है।)
  • गीता – कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण द्‌वारा अर्जुन को दिया गया पद्‌यात्मक उपदेश
  • वंशी – बाँसुरी
  • पुण्यभूमि – पवित्र धरती
  • स्वर्णभूमि – धन-धान्य से परिपूर्ण भूमि
  • मलय पवन – दक्षिण भारत में स्थित मलय पर्वत से आने वाली सुगंधित हवा

कविता ‘मातृभूमि’ का काव्य सार :

इस पूरी कविता में कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपने देश भारत की सुंदरता, पवित्रता, संस्कृति, धर्म, इतिहास और वीरता का चित्र खींचा है।
वे बताते हैं कि भारत सिर्फ हमारा देश नहीं, बल्कि माँ के समान है — जिसने हमें सब कुछ दिया।

यह कविता देशभक्ति, प्राकृतिक सौंदर्य, और सांस्कृतिक गर्व से भरी हुई है।

In this entire poem, poet Sohan Lal Dwivedi has drawn a picture of the beauty, purity, culture, religion, history and valor of his country India.
They say that India is not just our country, but like mother – who gave us everything.

This poem is filled with patriotism, natural beauty, and cultural pride.


कविता ‘मातृभूमि’ की केंद्रीय भावना (Central Idea):

कविता ‘मातृभूमि’ में कवि सोहनलाल द्विवेदी ने अपने देश भारत की प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिकता, और महानता का गुणगान किया है।

कवि सोहन लाल द्विवेदी भारत को केवल एक देश नहीं, बल्कि माँ मानते हैं — जो सुंदर भी है, पवित्र भी है, और महान भी और उस पर गर्व करते हैं।

भारत वह देश है जहाँ हिमालय जैसे ऊँचे पर्वत हैं, गंगा-यमुना जैसी नदियाँ बहती हैं, और जहाँ राम, कृष्ण, बुद्ध जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया।

यह कविता हमें सिखाती है कि हमें अपनी मातृभूमि से प्रेम करना चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए और उसके लिए अच्छे कर्म करने चाहिए।

कविता में भारत की:

  • प्राकृतिक सुंदरता (हिमालय, नदियाँ, झरने, बाग),
  • धार्मिकता (गंगा, यमुना, मलय पवन),
  • इतिहास (राम, सीता, कृष्ण, बुद्ध),
  • और संस्कृति और वीरता का सुंदर चित्रण है।

कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व होना चाहिए और उसका आदर करना चाहिए।

सरल भाषा में:
यह कविता हमें सिखाती है कि हमारा देश बहुत ही सुंदर, पवित्र और महान है। हमें अपने देश से प्यार करना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए।

Central idea of the poem ‘Matribhoomi’ in English

This poem shows the poet’s deep love and respect for India, his motherland. The poet calls India a land of beauty, peace, religion, and bravery.

He praises:

  • the high Himalayas and flowing rivers,
  • the holy places,
  • the great people like Ram, Sita, Krishna, and Buddha who were born here,
  • and the kindness, courage, and teachings of this land.

The poet feels proud to be born in such a wonderful country and says that India is not just his country, but like a mother to him.


संदेश (Message) – कविता ‘मातृभूमि’ 🌼

यह कविता हमें अपने देश भारत से प्रेम करना, उसकी सुंदरता को पहचानना और गर्व महसूस करना सिखाती है।
भारत सिर्फ हमारा देश नहीं, बल्कि हमारी माँ जैसी है
यहाँ प्रकृति का सौंदर्य, नदी, पर्वत, झरने, चिड़ियाँ, और शीतल हवा हमें शांति देती है।
यह भूमि वीरों और महापुरुषों की है, जिन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा और करुणा का रास्ता दिखाया।

हम सबको चाहिए कि हम अपने देश से प्यार करें, उसका आदर करें, और उसके लिए अच्छा काम करें। यही इस कविता का सुंदर संदेश है।

This poem teaches us to love our country India, recognize its beauty and feel proud. India is not just our country, but our mother.
Here the beauty of nature, river, mountains, waterfalls, birds, and cold air gives us peace. This land is of heroes and great men, who showed the world the path of truth, non -violence and compassion.

We all need to love our country, respect it, and do good work for that. This is the beautiful message of this poem.


‘मातृभूमि’ कविता के मुख्य बिंदु (Main Points):

  1. भारत की सुंदरता:
    कवि ने हिमालय, गंगा-यमुना, झरने, चिड़ियाँ, बाग-बगिचों और ठंडी हवा का सुंदर चित्र खींचा है।
  2. भारत की पवित्रता:
    भारत को “पुण्य भूमि” और “धर्म भूमि” कहा गया है। यह वह भूमि है जहाँ अच्छे कर्म किए जाते हैं।
  3. महापुरुषों की जन्मभूमि:
    भगवान राम, सीता, श्रीकृष्ण और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों ने यहीं जन्म लिया।
  4. भारत – ज्ञान और करुणा की भूमि:
    श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया और बुद्ध ने दया और सत्य का मार्ग दिखाया।
  5. देशभक्ति की भावना:
    कवि को अपने देश पर गर्व है। वह भारत को अपनी माँ की तरह मानते हैं — “मातृभूमि” और “जन्मभूमि”।

Summary Points to Remember:

1️⃣ भारत की सुंदरता – हिमालय, नदियाँ, झरने, बाग-बगिचे
2️⃣ भारत की पवित्रता – पुण्य भूमि, धर्म भूमि
3️⃣ महान व्यक्तियों की जन्मभूमि – राम, सीता, कृष्ण, बुद्ध
4️⃣ ज्ञान और दया का संदेश – गीता, करुणा, सत्य
5️⃣ कवि का गर्व – भारत को माँ समान बताया


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