‘गोल’ (Gol) पाठ Question & Answers | NCERT Book ‘Malhar’ Class 6

Class 6 Hindi ‘गोल’ chapter questions and answers are provided here to help Grade 6 students studying the NCERT Hindi textbook Malhar, Chapter 2 ‘गोल’. Nearly all the questions from the book Malhar, Chapter 2 ‘गोल’, have been answered in this post.

CBSE Class 6 Hindi Chapter 2 Gol (गोल) Question Answers from NCERT Hindi Textbook Malhar

Here, students are assisted by providing solutions and answers to the exercises at the end of the lesson ‘GOL’ (गोल) in the Class 6 NCERT Hindi textbook Malhar (मल्हार). The answers provided adhere to the latest CBSE exam pattern for Class 6 Hindi students.

‘Gol’ Chapter | Question and Answers | हिन्दी Class 7 Book मल्हार

पाठ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-

(1) “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।” मेजर ध्यानचंद की इस बात से उनके बारे में क्या पता चलता है?

  • वे अत्यंत क्रोधी थे।
  • वे अच्छे ढंग से बदला लेते थे।
  • उन्हें हॉकी से मारने पर वे अधिक गोल करते थे।
  • वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।(★)

उत्तर – • वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।

(2) – लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना क्यों शुरू कर दिया?

  • उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण (★)
  • उनकी हॉकी स्टिक की अनोखी विशेषताओं के कारण
  • हॉकी के लिए उनके विशेष लगाव के कारण
  • उनकी खेल भावना के कारण

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?

उत्तर: यहाँ Sample Answers दिए जा रहें हैं।

1: ध्यानचंद जी ने गुस्सा दिखाने के बजाय शांतिपूर्वक खेल जीतकर दिखाया। इससे पता चलता है कि उन्हें ​‘खेल भावना’ सबसे ज़्यादा पसंद थी।

2: उनका खेल इतना शानदार था कि बॉल को अपने इस्‍टिक से ऐसे नियंत्रित करते, जैसे जादू कर रहे हों। इसलिए लोग उन्हें ‘जादूगर’ कहने लगे।


पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

Class 6 Hindi Chapter 'Gol' Q&A

उत्तर:

शब्दसही अर्थ / संदर्भ
1. लांस नायक2. भारतीय सेना का एक पद (रैंक) है।
2. बर्लिन ओलंपिक4. वर्ष 1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित ओलंपिक खेल प्रतियोगिता।
3. पंजाब रेजिमेंट5. अंग्रेजों के समय की भारतीय सेना का एक दल।
4. सैपर्स एंड माइनर्स टीम6. अंग्रेजों के समय की एक हॉकी टीम।
5. सूबेदार1. स्वतंत्रता से पहले सूबेदार भारतीय सैन्य अधिकारियों का दूसरा सबसे बड़ा पद था।
6. छावनी3. सैनिकों के रहने का क्षेत्र।

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(क) “बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”

उत्तर: जो व्यक्ति गलत काम करता है, उसे हमेशा डर रहता है कि कोई उसके साथ भी बुरा व्यवहार करेगा। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अच्छा काम करना चाहिए ताकि हमें अपने कर्मों से डरना न पड़े। गलत कर्म का फल अंततः हमें ही भुगतना पड़ता है (‘जैसा करोगे वैसा भरोगे’)। धार्मिक ग्रंथ भी यही कहते हैं की कर्म के फलों से बचा नहीं जा सकता।

(ख) “मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास लेकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का शेष मिल सके। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।”

उत्तर: ध्यानचंद जी चाहते थे कि टीम के दूसरे खिलाड़ी भी गोल करें और उन्हें तारीफ मिले। वे स्वार्थी नहीं थे। वे टीम वर्क में विश्वास रखते थे। यही कारण था कि लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे। ये बड़ी बात है की जिस श्रेय को आप स्वयं ले सकते है उसे किसी आने खिलाई को दिलाने की कोशिश करना ओर ये ही खेल भवन जो खिलाड़ी को महान बनाती है। असली महान खिलाड़ी वह होता है जो आत्मकेंद्रित न होकर सबके साथ मिलकर टीम को आगे बढ़ाए—यही खेल भावना है।


संस्मरण को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) ध्यानचंद की सफलता का क्या रहस्य था?

उत्तर: ध्यानचंद जी की सफलता का कोई जादू या गुरुमंत्र नहीं था। वे खुद कहते हैं कि उनकी सफलता का रहस्य था —
लगन (dedication), साधना (practice) और खेल भावना (sportsmanship)।
वे खूब मेहनत करते थे, ईमानदारी से खेलते थे और कभी हार से डरते नहीं थे।

(ख) किन बातों से ऐसा लगता है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे?

उत्तर: ध्यानचंद जी टीम के लिए खेलते थे। वे खुद गोल करने के बजाय गेंद को अपने साथी खिलाड़ी को पास करते थे ताकि उसे श्रेय (तारीफ) मिले।
वे यह भी कहते हैं कि हार या जीत मेरी नहीं, पूरे देश की होती है।
इससे साफ़ पता चलता है कि वे अपने देश और टीम को खुद से पहले रखते थे।


“उन दिनों में, मैं पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था।”

इस वाक्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक आपसे यानी पाठक से अपनी यादों को साझा कर रहा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए।

(क) अपने-अपने समूह में मिलकर इस संस्मरण की विशेषताओं की सूची बनाइये।

उत्तर:
यह वाक्य दर्शाता है कि लेखक अपने पुराने दिनों की यादगार बातें हमें बता रहे हैं। यह एक संस्मरण है क्योंकि इसमें वह खुद की देखी-सुनी, और जी हुई बातें बता रहे हैं।

‘गोल’ संस्मरण की विशेषताएँ

  1. स्वअनुभव (Personal Experience):
    यह पाठ लेखक (ध्यानचंद जी) के खुद के जीवन का अनुभव है।
  2. ‘मैं’ शैली (First Person Narration):
    इसमें ‘मैं’ शब्द का उपयोग हुआ है जिससे लगता है कि लेखक खुद अपनी बातें सुना रहे हैं।
  3. सच्ची घटना:
    इसमें जो बातें लिखी गई हैं, वे काल्पनिक नहीं हैं, बल्कि सच में हुई थीं।
  4. भावना से भरा:
    इसमें गुस्सा, समझदारी, खेल भावना जैसे भावों को महसूस किया जा सकता है।
  5. सीख देने वाल :
    यह पाठ हमें सिखाता है कि खेल में गुस्से के बजाय शांति और हुनर से जवाब देना चाहिए।
  6. समय और स्थान का ज़िक्र:
    जैसे– 1933, पंजाब रेजिमेंट, बर्लिन ओलंपिक जैसे स्थान और समय की जानकारी मिलती है।
  7. टीम भावना:
    लेखक खुद गोल करने के बजाय साथी खिलाड़ियों को मौका देना चाहते थे।
  8. सरल भाषा और शैली (Simple and Direct Style):
    यह संस्मरण सीधे और स्पष्ट ढंग से लिखा गया है, जिससे पाठक जुड़ाव महसूस करता है।

(ख): पाठ में ऐसी और कौन-कौन सी बातें हैं जिनसे यह पता चलता है कि यह संस्मरण है?

उत्तर: निम्न बातों से पता चलता है की यह एक संस्मरण है:

  • लेखक “मैं” शब्द का प्रयोग कर रहे हैं – जैसे कोई अपनी बात खुद कह रहा हो।
  • उन्होंने बताया कि 1933 में क्या हुआ – यानी यह पुरानी याद है।
  • उन्होंने अपनी चोट, गोल करना, और बदले की बात भी खुद के अनुभव से बताई।
  • पाठ में उनके भावना, सोच और सीख भी साफ़ दिखती है।

(क) “जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई।”
इस वाक्य में ‘जैसे-जैसे’ और ‘वैसे-वैसे’ शब्दों के जोड़े हैं जिनमें एक ही शब्द दो बार उपयोग में लाया गया है। ऐसे जोड़ों को ‘शब्द-युग्म’ कहते हैं। शब्द-युग्म में दो शब्दों के बीच में छोटी-सी रेखा लगाई जाती है जिसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक यानी जोड़ने वाला। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए।

उत्तर: पाँच उदाहरण:
चुप-चुप
धीरे-धीरे
दिन-प्रतिदिन
बार-बार
कभी-कभी

(ख) “खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं।”
इस वाक्य में भी आपको दो शब्द-युग्म दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन शब्द-युग्मों के दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हैं, एक जैसे नहीं हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए जिनमें दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हों।

उत्तर: पाँच उदाहरण निम्न हैं:
जी-जान
धक्का-मुक्की
नोंक-झोंक
हँसी-मजाक
उतार-चढ़ाव

(ग) “हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”
      “आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।”
इन वाक्यों में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें ध्यान से पढ़िए। हम इन शब्दों को योजक की सहायता से भी लिख सकते हैं, जैसे- हार-जीत, बच्चे-बूढ़े आदि।
आप नीचे दिए गए शब्दों को योजक की सहायता से लिखिए-
अच्छा या बुरा         उत्तर और दक्षिण
छोटा या बड़ा         गुरु और शिष्य
अमीर और गरीब     अमृत या विष

उत्तर: नीचे दिए गए शब्दों को योजक की सहायता से लिखा गया है:

जोड़ा शब्दयोजक के साथ
अच्छा या बुराअच्छा-बुरा
छोटा या बड़ाछोटा-बड़ा
अमीर और गरीबअमीर-गरीब
उत्तर और दक्षिणउत्तर-दक्षिण
गुरु और जिज्ञासुगुरु-जिज्ञासु
अमृत या विषअमृत-विष

“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है।”
“मैंने तो अपना बदला ले लिया है।”
इन दोनों वाक्यों में क्या अंतर है? ध्यान दीजिए और बताइए। सही पहचाना ! दूसरे वाक्य में एक शब्द कम है। उस एक शब्द के न होने से वाक्य के अर्थ में भी थोड़ा अंतर आ गया है।
हम अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे- ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ आदि। पाठ में से इन शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए। ध्यान दीजिए कि यदि उन वाक्यों में ये शब्द न होते तो उनके अर्थ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता।

उत्तर: इस हिस्से में हमें यह समझना है कि कुछ खास शब्द (जैसे – ही, भी, तो) वाक्य में बल (ज़ोर) देने का काम करते हैं। अगर ये शब्द हटा दिए जाएँ तो वाक्य का असर थोड़ा बदल जाता है।

वाक्य 1:
“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है।”
👉 यहाँ ‘तो’ और ‘ही’ शब्द बताते हैं कि ध्यानचंद ने सच में बदला लिया और वे इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं।

वाक्य 2:
“मैंने अपना बदला ले लिया है।”
👉 यहाँ बात सही है, पर उसमें उतना बल (ज़ोर) नहीं है जितना पहले वाक्य में।

अब हम पाठ से ऐसे वाक्य छाँटते हैं जिनमें ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ जैसे शब्द आए हैं:

वाक्यबल देने वाला शब्द
“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है।”तो, ही
“अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।”ही
“मेरे पास सफलता का कोई गुरु-मंत्र तो है नहीं।”तो
“मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती थी…”तो
“खेलते समय मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखता था कि हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”है (यहाँ भी ज़ोर है)

समझाने के लिए आसान तरीका:

  • ही’ मतलब — सिर्फ वही बात हो रही है।
    👉 Ex: “वही खिलाड़ी ही सबसे अच्छा है।”
  • तो’ मतलब — बात को खास ज़ोर देकर कहना।
    👉 Ex: “अगर तुमने कहा है, तो करना भी पड़ेगा।”
  • भी’ मतलब — शामिल करना, अतिरिक्त जोड़ना।
    👉 Ex: “वह पढ़ता है, खेलता भी है।”

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) ध्यानचंद के स्थान पर आप होते तो क्या आप बदला लेते? यदि हाँ, तो बताइए कि आप बदला किस प्रकार लेते?

(ख) आपको कौन-से खेल और कौन-से खिलाड़ी सबसे अधिक अच्छे लगते हैं? क्यों?

उत्तर:

(क) अगर मैं ध्यानचंद जी की जगह होता, तो मैं भी गुस्से में आकर लड़ाई नहीं करता।
मैं शांत रहकर अच्छा खेल दिखाता और अपने खेल से सबको जवाब देता — ठीक वैसे ही जैसे ध्यानचंद जी ने किया।
मैं कोशिश करता कि और अच्छे गोल करूँ और अपनी टीम को जिताऊँ।
इससे विरोधी खिलाड़ी को समझ आता कि गुस्से से नहीं, खेल भावना से ही जीत मिलती है।

(ख) मुझे क्रिकेट खेल सबसे ज्यादा अच्छा लगता है, क्योंकि यह रोमांचक (exciting) होता है और इसमें पूरी टीम मिलकर खेलती है।
मुझे विराट कोहली बहुत पसंद हैं क्योंकि वे बहुत मेहनती, धैर्यवान और टीम के लिए खेलने वाले खिलाड़ी हैं।
वे हारने के बाद भी हिम्मत नहीं हारते और दूसरों को प्रेरणा (inspiration) देते हैं।


समाचार-पत्र से

(क) क्या आप समाचार-पत्र पढ़ते हैं? समाचार-पत्रों में प्रतिदिन खेल के समाचारों का एक पृष्ट प्रकाशित होता है। अपने घर या पुस्तकालय से पिछले सप्ताह के समाचार पत्रों को देखिए। अपनी पसंद का एक खेल-समाचार अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर: (Sample Answers) दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे अपनी कॉपी में लिख सकते हैं।

भारत ने श्रीलंका को 3-0 से हराया

11 अप्रैल 2025, लखनऊ:- पिछले हफ्ते भारत और श्रीलंका के बीच टी-20 क्रिकेट मैचों की श्रृंखला खेली गई। भारत ने सभी तीनों मैच जीतकर श्रृंखला 3-0 से जीत ली। विराट कोहली ने शानदार बल्लेबाज़ी की और मैन ऑफ द सीरीज़ बने। इस जीत से भारत ने टी-20 में अपनी रैंकिंग भी सुधार ली।

One more example:

ब्लू बुल्स की शानदार जीत

चेन्नई – पिछले सप्ताह सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल के क्रिकेट मैदान में ब्लू बुल्स और रेड रॉकर्स टीमें टी-20 मुकाबले में आईं। टॉस जीतकर ब्लू बुल्स ने पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया। निर्धारित 20 ओवर में रेड रॉकर्स ने 128/6 रन बनाए। जवाब में ब्लू बुल्स ने ऑनरिस 18वें ओवर में 132/4 रन बनाकर जीत हासिल की। ब्लू बुल्स के कप्तान रीना ने 45 गेंदों पर 56 रन की शानदार पारी खेली और ‘मैन ऑफ द मैच’ चुनी गईं।

(ख) मान लीजिए कि आप एक खेल-संवाददाता हैं और किसी खेल का आँखों देखा प्रसारण कर रहे हैं। अपने समूह के साथ मिलकर कक्षा में उस खेल का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कीजिए। (संकेत- इस कार्य में आप आकाशवाणी या दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेल-प्रसारणों की कमेंटरी की शैली का उपयोग कर सकते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक समूह कक्षा में सामने डेस्क या कुर्सियों पर बैठ जाएगा और पाँच मिनट के लिए किसी खेल के सजीव प्रसारण की कमेंटरी का अभिनय करेगा।)

उत्तर: बच्चे स्वयं कमेंटरी करके इसका आनंद ओर रोमांच उठाएँ: यहाँ हम बस कमेंटरी का एक नमूना प्रस्तुत कर रहे हैं:

“नमस्कार दोस्तों, मैं आदित्य आपके साथ लाइव टी-20 मैच की कमेंट्री कर रहा हूँ।”

“यहाँ स्टेडियम का माहौल जबरदस्त है, ब्लू बुल्स ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया है।”

“पहले ओवर की तीसरी गेंद पर किशन ने चौका जड़ा, गेंद सीधे बाउंड्री के पार गई।”

“दसवें ओवर में गेंदबाज़ी में बदलाव हुआ, तेज गेंदबाज़ राहुल ने अगली ही गेंद पर विकेट लिया।”

“और आख़िरी ओवर में ब्लू बुल्स ने सिर्फ 7 रन बनाने हैं, क्या वे यह लक्ष्य आसानी से पूरा करेंगे? देखते हैं बाकी की कार्रवाई!”


डायरी का प्रारंभ

कुछ लोग प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी बातें किसी स्थान पर लिख लेते हैं। जो वे सोचते हैं, या जो उनके साथ उस दिन हुआ या जो उन्होंने देखा, उसे ईमानदारी से लिख लेते हैं या टाइप कर लेते हैं। इसे डायरी लिखना कहते हैं।
क्या आप भी अपने मन की बातों और विचारों को लिखना चाहते हैं? यदि हाँ, तो आज से ही प्रारंभ कर दीजिए-
आप जहाँ लिखेंगे, वह माध्यम चुन लीजिए। आप किसी लेखन-पुस्तिका में या ऑनलाइन मंचों पर लिख सकते हैं।
आप प्रतिदिन, कुछ दिनों में एक बार या जब कुछ लिखने का मन करे तब लिख सकते हैं।
शब्दों या वाक्यों की कोई सीमा नहीं है चाहे दो वाक्य हों या दो पृष्ठ। आप जो मन में आए उसे उचित और शालीन शब्दों में लिख सकते हैं।

उत्तर: बच्चे स्वयं डायरी लिखना चाहे तो कोशिश कर सकते हैं क्योंकि यहाँ बच्चों को अपने मन की बातें डायरी में लिखने के लिए प्रेरित किया गया है।

यहाँ हम डायरी लेखन के दो उदाहरण आपको दे रहे है जिससे आपको डायरी लेखन का तरीका आ जाए।

📖 डायरी लेखन — उदाहरण 1 (Sample Diary Entry)

📅 दिनांक: 1 मई 2025
🕰️ समय: शाम 8 :30 बजे

प्रिय डायरी,

आज मैंने अपनी हिंदी की किताब में ‘गोल’ नाम का पाठ पढ़ा। यह पाठ मेजर ध्यानचंद जी के जीवन से जुड़ा था। मुझे यह पढ़कर बहुत अच्छा लगा कि उन्होंने किसी को चोट पहुँचाने की जगह अपने खेल से जवाब दिया।

उन्होंने बताया कि सच्ची लगन, मेहनत और खेल भावना ही सफलता का असली रहस्य है। मुझे भी अब ऐसा लगता है कि अगर कोई हमें बुरा बोले या नुकसान पहुँचाए, तो हमें शांत रहकर अच्छा काम करना चाहिए।

अब से मैं भी कोशिश करूंगा कि मैं गुस्सा नहीं करूँ और सबके साथ ईमानदारी और सहयोग से काम करूँ।
आज का दिन मुझे यह सिखा गया कि असली खिलाड़ी वही होता है जो खुद से पहले दूसरों को महत्व देता है।

आपका अपना,
अजीत / पूनम (बच्चा नाम अनुसार बदल सकता है)

डायरी लेखन — उदाहरण 2

दिनांक: 25 अप्रैल 2025
प्रिय डायरी,

आज हमने स्कूल में मेजर ध्यानचंद के बारे में “गोल” नामक पाठ पढ़ा।
मैंने सिखा कि खेल में गुस्सा करके लड़ाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि शांति से खेलना चाहिए।
ध्यानचंद जी ने गुस्से के बजाय छह गोल करके अपने विरोधी को चुप कर दिया—यह बहुत साहसिक था!
मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने बॉल अपने साथी को पास की और टीम को पहले रखा।
उनका कहना था कि मेहनत, साधना और खेल भावना ही असली गुरु मंत्र हैं।
मैं भी रोज़ हॉकी की प्रैक्टिस करूँगा और अपने दोस्तों के साथ मिलकर खेल भावना दिखाऊँगा।
आज का पढ़ाई और प्रेरणा मुझे बहुत उत्साहित कर गया।

― तुम्हारा मित्र,
अजीत


आज की पहेली

यहाँ एक रोचक पहेली दी गई है। इसमें आपको तीन खिलाड़ी दिखाई दे रहे हैं। आपको पता लगाना है कि कौन-से खिलाड़ी द्वारा गोल किया जाएगा—

उत्तर:

Class 6 Hindi book Malhar Question and answers

साझी समझ

(क) आपने इस खेल के नियम पढ़कर अच्छी तरह समझ लिए हैं। अब अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ खेल खेलिए।

उत्तर: स्वयं खेल कर देखिए 🙂

(ख) आप भी ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ जैसे अनेक स्‍वदेशी खेल अपने मित्रों के साथ मिलकर अपने विद्यालय, घर या मोहल्ले में खेलते होंगे। अब आप ऐसे ही किसी एक खेल के नियम इस प्रकार से लिखिए कि उन्हें पढ़कर कोई भी बच्चा उस खेल को समझ सके और खेल सके ।

उत्तर: इसे आप स्वयं करें। यहाँ हम नमूने के तौर पर दो उदाहरण उत्तर (Sample Answers) दे रहें हैं।

उदाहरण 1 स्थानीय खेल का नाम: गिल्ली-डंडा

गिल्ली-डंडा खेलने के नियम

  1. सामान की जरूरत:
    • एक छोटी लकड़ी (गिल्ली)
    • एक लंबी लकड़ी (डंडा)
  2. खिलाड़ी:
    • यह खेल 2 या 2 से अधिक बच्चों के बीच खेला जा सकता है।
  3. कैसे खेलते हैं:
    • ज़मीन पर थोड़ा गड्ढा बनाकर उसमें गिल्ली को रखा जाता है।
    • खिलाड़ी डंडे से गिल्ली को नीचे से मारकर ऊपर उछालता है।
    • फिर गिल्ली को हवा में मारकर जितनी दूर हो सके फेंकने की कोशिश करता है।
  4. अगला खिलाड़ी:
    • दूसरे खिलाड़ी को गिल्ली को पकड़ना होता है। अगर वह गिल्ली को हवा में ही पकड़ लेता है, तो खिलाड़ी आउट हो जाता है।
  5. अंक कैसे मिलते हैं:
    • अगर गिल्ली को दूर फेंका गया और कोई नहीं पकड़ पाया, तो अंक मिलते हैं।
    • खिलाड़ी गिल्ली तक दौड़कर जाता है और मापता है कि कितनी दूर गई।
  6. जीतने वाला खिलाड़ी:
    • जो खिलाड़ी सबसे ज्यादा दूर गिल्ली फेंकता है और सबसे अधिक अंक बनाता है, वही विजेता होता है।

उदाहरण 2 स्थानीय खेल का नाम: पिट्ठू

पिट्ठू खेल के नियम

1. खेल की सामग्री

  • सात छोटे पत्थर (पिट्ठू)
  • एक गेंद (छोटी, मुलायम)

2. खिलाड़ी

  • दो दल, प्रत्येक में 4–6 खिलाड़ी

3. मैदान

  • कोई साफ़-स्वच्छ मैदान या प्रांगण
  • बीच में एक छेद या चिह्नित जगह

4. शुरुआत

  1. सात पत्थरों को एक-एक करके कंधे की ऊँचाई पर एक के ऊपर एक रखकर ढेर बनाओ।
  2. टॉस से तय करो कि कौन सी टीम पहले पत्थू उछालेगी।

5. खेल का नियम

  1. फेंकने वाली टीम का एक खिलाड़ी गेंद उठाकर ढेर पर फेंकता है, जिससे पत्थू बिखर जाते हैं।
  2. जैसे ही पत्थू बिखरते हैं, वही खिलाड़ी बाउंड्री लाइन के पीछे (लगभग 5–6 मीटर दूर) भागता है।
  3. दूसरी टीम के खिलाड़ी गेंद उठाकर उसे उस खिलाड़ी पर फैंकने की कोशिश करते हैं।
    • अगर गेंद लग जाए, तो वह खिलाड़ी बाहर हो जाता है।
    • अगर गेंद नहीं लग पाती, तो खिलाड़ी वापस आकर पत्थू एक-एक करके फिर से ढेर लगाता है।
  4. जब खिलाड़ी सफलतापूर्वक सारे पत्थू एक-एक करके रख देता है, तो उसकी टीम को 1 अंक मिलता है और दोनों टीमें रोल बदल देती हैं।
  5. अगर फेंकने वाली टीम का खिलाड़ी आउट हो जाए और पत्थू पूरे न लग पाए, तो गेंद उठाकर फेंकने का अधिकार दूसरी टीम को मिल जाता है।

6. जीत का निर्णय

  • जो टीम पहले 5 अंक जीत ले, वह विजेता होगी।
  • चाहें तो मैच लंबे-घटाकर 3 या 7 अंकों वाला भी कर सकते हैं।

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