Gol ‘गोल’ कक्षा 6 Notes: Summary, Meanings, Characters NCERT Book ‘Malhar’

Class 6 Hindi ‘Gol’ Chapter Notes: If you’re searching for CBSE Class 6 Hindi Malhar Book Chapter 2 ‘Gol’ summary, meanings, themes, character sketches, and more, your search ends here! These notes on the ‘Gol’ chapter will enhance your understanding of the subject and improve your exam performance.

Notes on Chapter 2 ‘Gol’ from NCERT Hindi Book ‘Malhar’ for Grade 6

कक्षा 6 हिंदी ‘गोल’ अध्याय नोट्स: यदि आप सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार पुस्तक अध्याय 2 ‘गोल’ सारांश, शब्दार्थ, विषय वस्तु , चरित्र चित्रण, जैसी चीजें खोज रहे हैं, तो आपकी खोज यहाँ समाप्त होती है! ‘गोल’ अध्याय पर ये नोट्स पाठ ओर विषय की आपकी समझ को बढ़ाएंगे और आपकी परीक्षा के प्रदर्शन में सुधार करेंगे।

Class 6 Hindi Chapter ‘GOL’ – Summary

🏑 अध्याय ‘गोल’ का सारांश:

यह पाठ हमारे देश के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी के जीवन का एक अनुभव बताता है। वे भारत के सबसे प्रसिद्ध और महान खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्हें लोग ‘हॉकी का जादूगर’ कहते थे।

यह पाठ एक संस्मरण है, यानी ध्यानचंद जी की अपनी यादों का एक भाग। इसमें वे एक पुराने मैच की बात बताते हैं जब वे पंजाब रेजिमेंट की तरफ से खेल रहे थे। उस मैच में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर ध्यानचंद जी के सिर पर हॉकी स्टिक से मार दिया। लेकिन ध्यानचंद जी ने बदला लेने के लिए हिंसा नहीं की, बल्कि मैदान में वापस आकर एक के बाद एक छह गोल करके उस खिलाड़ी को शांत कर दिया। उन्होंने उसे समझाया कि खेल में गुस्सा नहीं करना चाहिए

ध्यानचंद जी बताते हैं कि उन्हें खेल में कोई जादू नहीं आता था। वे कहते हैं कि मेहनत, लगन और खेल भावना ही सफलता की चाबी हैं

वे एक सच्चे टीम खिलाड़ी थे। वे खुद गोल करने के बजाय कोशिश करते थे कि गेंद को अपने साथी को दें ताकि वह गोल कर सके। उनकी इसी भावना की वजह से पूरी दुनिया के खेल प्रेमी उन्हें पसंद करते थे।

ध्यानचंद जी ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था। वे कहते हैं कि जब वे खेलते थे, तो उनके लिए जीत या हार सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की होती थी

मुख्य बातें (Main Points):

  • यह अध्याय मेजर ध्यानचंद जी की आत्मकथा का एक हिस्सा है।
  • उन्होंने खेल में गुस्से की जगह खेल भावना से जवाब दिया।
  • वे मेहनत और टीम वर्क में विश्वास रखते थे।
  • 1936 के ओलंपिक में भारत को जीत दिलाई।
  • उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है।

🏑 Summary of the Chapter “Goal”:

This chapter is a real-life memory (called a “samsmaran”) of India’s famous hockey player Major Dhyan Chand, who is known as the “Wizard of Hockey.”

He shares an incident from a match when he was playing for the Punjab Regiment in 1933. During the match, a player from the opposite team hit Dhyan Chand on the head with a hockey stick in anger. Dhyan Chand was hurt but did not fight back. Instead, he came back to the field after getting a bandage and scored six goals quickly to win the match.

After the match, he told the player kindly, “You shouldn’t get so angry while playing. I have taken my revenge by playing better hockey.” This shows that Dhyan Chand believed in sportsmanship, not in fighting.

He says that he became successful not because of any magic but because of hard work, dedication, and team spirit. He always tried to pass the ball to his teammates so they could score goals. Because of this unselfish nature, people around the world loved his style of playing.

In the 1936 Berlin Olympics, Dhyan Chand led the Indian team to win the gold medal. He always believed that the victory or loss in a match is not just for one player, but for the whole country.

Key Points:

  • This chapter is a memory from Major Dhyan Chand’s life.
  • He answered violence with good performance on the field.
  • He believed in teamwork and fair play.
  • He helped India win a gold medal in the 1936 Olympics.
  • People called him “The Wizard of Hockey.”

Class 6 Hindi Chapter ‘GOL’ – Vocabulary (Meanings)

📘 शब्दार्थ (Word Meanings) ‘गोल’ पाठ

नीचे दिए गए शब्दों और वाक्यांशों के अर्थ दिए गए हैं — हिंदी में और अंग्रेज़ी में भी ताकि बच्चों को आसानी से समझ में आए।

हिंदी शब्द / वाक्यांशअर्थ Meaning in English
संस्मरणऐसा लेख या बातें जिसमें पुरानी यादों का जिक्र किया गया हो A personal memory or recollection
पंजाब रेजिमेंटभारतीय सेना की एक टुकड़ी या भागA unit of the Indian Army
‘संपर्स एण्ड माइनर्स टीम’अंग्रेज़ों के समय की एक विशेष हॉकी टीमA hockey team named ‘Sappers and Miners’
पीठ थपथपाई (मुहावरा)प्रोत्साहन देना, सराहना करनाTo pat someone’s back (as appreciation)
गुरु मंत्र (मुहावरा)सफलता का रहस्य या सबसे ज़रूरी बातSecret or key to success
‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’सेना की एक टुकड़ी जिसमें ब्राह्मण समुदाय के लोग भर्ती थेA regiment in the army mainly consisting of Brahmins
नौसिखियानया सीखने वाला, अनुभवहीन खिलाड़ीBeginner, someone who is new or inexperienced
तरक्कीपदोन्नति या ऊँचा पद मिलनाPromotion or progress in rank
लांस नायकसेना में एक छोटा पदA junior rank in the Indian Army
श्रेयकिसी अच्छे काम के लिए तारीफ मिलनाCredit or praise for something good
लगनमेहनत और ध्यान के साथ काम करनाDedication / Focus
साधनालगातार अभ्यास करनाPractice (spiritual or skill-based)
खेल भावनाईमानदारी, दूसरों का सम्मान और सहयोग की भावनाSportsmanship – playing with honesty and team spirit
दिल जीत लिया (मुहावरा)सबको बहुत पसंद आना, सबके मन को भा जानाWon everyone’s heart

Theme (विषयवस्तु ) of ‘Gol’ Class 6 Hindi Book Malhar

🌟 अध्याय ‘गोल’ का विषय (Theme of the Chapter):

इस अध्याय का मुख्य विषय है — खेल भावना, मेहनत, और ईमानदारी।

मेजर ध्यानचंद जी ने अपने अनुभव से यह सिखाया कि:

  • सच्ची सफलता मेहनत, लगन और अभ्यास से मिलती है।
  • खेल या जीवन में गुस्से या हिंसा की जगह शांत रहकर अच्छा काम करना चाहिए।
  • एक सच्चा खिलाड़ी वही होता है जो टीम वर्क में विश्वास करता है और खुद से पहले दूसरों की सोचता है।
  • असली जीत वही है जो खेल भावना और ईमानदारी से मिले।

यह अध्याय हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अच्छे इंसान और अच्छे खिलाड़ी बनने की कोशिश करनी चाहिए।

🙂 “यह पाठ हमें सिखाता है कि मेहनत करो, गुस्सा मत करो और मिल-जुलकर खेलो।”

मेजर ध्यानचंद का चरित्र-चित्रण (Character Sketch) | Class 6

मेजर ध्यानचंद जी हमारे देश के महान हॉकी खिलाड़ी थे। उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है। उनका स्वभाव बहुत शांत, मेहनती और ईमानदार था।

वे कभी भी गुस्से में आकर बुरा काम नहीं करते थे। जब उन्हें मैदान में चोट लगी, तब भी उन्होंने गुस्से का जवाब अच्छे खेल से दिया। इससे पता चलता है कि वे धैर्यवान और बुद्धिमान थे।

ध्यानचंद जी हमेशा अपनी टीम का ध्यान रखते थे। वे खुद गोल करने की जगह कोशिश करते थे कि उनके साथी खिलाड़ी गोल करें और श्रेय (तारीफ) पाएं। इससे पता चलता है कि वे निःस्वार्थ (selfless) और टीम भावना वाले खिलाड़ी थे।

वे कहते थे कि सफलता का कोई जादू नहीं है, सिर्फ मेहनत, लगन और खेल भावना से ही सफलता मिलती है। इससे हम समझते हैं कि वे कर्मठ (hardworking) और ईमानदार (honest) थे।

ध्यानचंद जी के खेल और अच्छे स्वभाव ने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया। वे हमेशा कहते थे कि खेल में जीत-हार अकेले खिलाड़ी की नहीं होती, बल्कि पूरे देश की होती है। इससे उनकी देशभक्ति (patriotism) भी झलकती है।

मुख्य गुण:

  • मेहनती
  • ईमानदार
  • धैर्यवान
  • निःस्वार्थ
  • देशभक्त
  • टीम भावना वाले
  • शांत स्वभाव के
🙂 : “ध्यानचंद जी बहुत अच्छे खिलाड़ी और अच्छे इंसान थे। वे मेहनत करते थे, गुस्सा नहीं करते थे और अपनी टीम का साथ देते थे।”

अध्याय ‘गोल’ से मिली सीख (Lessons for Children):

1️⃣ गुस्से का जवाब शांति से दो:
ध्यानचंद जी ने सिखाया कि अगर कोई हमें चोट पहुँचाए या गुस्सा दिलाए, तो हमें लड़ाई नहीं करनी चाहिए। हमें शांत रहकर अच्छा काम करना चाहिए।

2️⃣ मेहनत और लगन से सफलता मिलती है:
ध्यानचंद जी ने बताया कि कोई जादू नहीं होता, सफलता सिर्फ मेहनत और अभ्यास से मिलती है।

3️⃣ टीम वर्क जरूरी है:
उन्होंने हमेशा अपनी टीम का ध्यान रखा। बच्चे भी सीख सकते हैं कि मिल-जुलकर काम करना सबसे अच्छा होता है।

4️⃣ खेल भावना अपनाओ:
खेल में हार-जीत होती रहती है, लेकिन हमें ईमानदारी और खेल भावना के साथ खेलना चाहिए।

5️⃣ देशभक्ति:
ध्यानचंद जी ने कहा कि जीत-हार अकेले की नहीं होती, बल्कि पूरे देश की होती है। इससे हमें अपने देश पर गर्व करना और उसके लिए मेहनत करना सीखना चाहिए।

🙂 “हमेशा मेहनती बनो, गुस्से का जवाब अच्छे काम से दो और मिल-जुलकर खेलो।”

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