Class 6 Hindi ‘हार की जीत ’ chapter questions and answers are provided here to help Grade 6 students studying the NCERT Hindi textbook Malhar, Chapter 4 ‘हार की जीत ’. Nearly all the questions from the book Malhar, Chapter 4 ‘हार की जीत ’, have been answered in this post.
CBSE Class 6 Hindi Chapter 4 ‘Har ki Jeet’ (‘हार की जीत ’) Question Answers from NCERT Hindi Textbook Malhar
Here, students are assisted by providing solutions and answers to the exercises at the end of the lesson ‘Har ki Jeet’ (‘हार की जीत ’) in the Class 6 NCERT Hindi textbook Malhar (मल्हार). The answers provided adhere to the latest CBSE exam pattern for Class 6 Hindi students.
‘Haar ki Jeet’ Chapter Question and Answers | Hindi Class 6 Book Malhar
पाठ से
मेरी समझ में
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए-
(1) सुलतान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
बाबा भारती असावधान हो गए। ☆
उत्तर: बाबा भारती असावधान हो गए। ☆
(2) “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर: बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।☆
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने ?
उत्तर: उत्तर चुनने के कारण नीचे दिए गए हैं।
(1) कहानी में बताया गया है कि पहले बाबा भारती बहुत सावधान रहते थे, रात-रात भर अस्तबल की रखवाली करते थे।
पर कई महीने बीत जाने के बाद वे कुछ असावधान हो गए, और तभी डाकू खड्गसिंह ने उन्हें धोखा दिया।
(2) बाबा भारती को जब खड्गसिंह ने कहा कि वह सुलतान की चाल देखना चाहता है, तो वे प्रशंसा सुनकर खुश हो गए और खुद घोड़े पर बैठकर उसकी चाल दिखाने लगे।
इससे लेखक ने दिखाया कि बाबा भारती साधु ज़रूर थे, पर वे भी इंसान थे — उन्हें भी अपने प्यारे घोड़े की तारीफ सुनकर अच्छा लगता था।
शीर्षक
(क) सुदर्शन ने इस कहानी का नाम ‘हार की जीत’ क्यों रखा होगा?
उत्तर:
सुदर्शन ने इस कहानी का नाम ‘हार की जीत’ इसलिए रखा क्योंकि इसमें बाबा भारती ने अपना घोड़ा हारने के बाद भी एक महान नैतिक जीत हासिल की। उन्हे घोडा भी मिला ओर बाबा भारती की दया भाव से खड्गसिंह का मन भी बदला।
Another Answer:
बाबा भारती ने घोड़ा खो दिया यानी हार गए, लेकिन उन्होंने डाकू को क्षमा करके और नेक व्यवहार करके उसका दिल जीत लिया ओर डाकू ने पछताकर घोड़ा लौटा दिया। इसलिए भले ही बाबा भारती को नुकसान हुआ, फिर भी वे नैतिक रूप से विजयी हुए। यही असली ‘हार की जीत’ है।
Another Answer:
इस कहानी में बाबा भारती का घोड़ा सुलतान चोर ले जाता है। यह तो एक तरह से हार है। फिर भी बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से बदला नहीं लिया और दया दिखाई। खड्गसिंह का हृदय उस दया से बदल गया और उसने घोड़ा वापस कर दिया।
यानी सच में घोड़े की चोरी हार थी, लेकिन दया और अच्छे मन से वह जीत गए। इसलिए लेखक ने दिखाया कि हार के बाद भी मन की शांति और दया से इंसान बड़ी जीत हासिल कर सकता है।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई और नाम देना हो, तो आप क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा?
उत्तर:
नाम: “बड़ा दिल” या “दयालु बाबा”
कारण:
इस कहानी में बाबा भारती ने डाकू की गलती को माफ कर दिया।
उन्होंने न कोई बदला लिया, न गुस्सा किया, बल्कि कहा कि यह बात किसी को मत बताना ताकि लोग गरीबों पर विश्वास करते रहें।
यह उनके बड़े दिल और दयालुता को दिखाता है। इसलिए यह नाम ठीक रहेगा।
Another Answer:
- नाम: “दयालुता की जीत”
- कारण: कहानी में सबसे बड़ी बात यही दिखती है कि बाबा भारती ने दया की। उसी दया ने डाकू का हृदय मोड़ा। इसलिए “दयालुता की जीत” सही लगेगा।
Another Answer:
- नाम: “बुराई पर अच्छाई की जीत”
- कारण: गलत काम (चोरी) पर अच्छी सोच (दया और क्षमा) भारी पड़ती है। इस कहानी में भी चोरी के बाद बाबा की करुणा की भावना ने खड्गसिंह की चोरी करने की बुरी भावना को हरा दिया जिसकी वजह से वो घोड़ा वापस कर देता है।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से कौन-सा वचन लिया?
उत्तर:
बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से वचन लिया कि वह इस घटना (घोड़ा चुराने की बात) को कभी किसी से न कहे।
क्योंकि बाबा को डर था कि यदि लोगों को यह बात पता चल गई, तो वे गरीबों और जरूरतमंदों पर भरोसा करना छोड़ देंगे।
Another Answer:
बाबा भारती ने खड्गसिंह से यह वचन लिया:
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट मत करना, नहीं तो लोग गरीबों पर भरोसा करना छोड़ देंगे।”
यानी खड्गसिंह ने वादा किया कि वह घोड़े की चोरी की बात किसी को नहीं बताएगा।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए-
1. “भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
उत्तर:
सरल अर्थ: बाबा भारती भगवान की पूजा करते थे। जब उनके पास पूजा से बचा हुआ समय होता था, तो वह सारा समय वे अपने घोड़े सुलतान की सेवा में लगाते थे।
विचार: इससे पता चलता है कि बाबा भारती को सुलतान से बहुत प्यार और लगाव था। घोड़ा उनके लिए केवल जानवर नहीं, बल्कि एक साथी जैसा था।
Another Answer:
अर्थ: बाबा भारती रोज़ भगवान का भजन (कीर्तन, प्रभु का नाम उच्चारण) करते हैं। जो समय भजन में नहीं लगता, वह समय वे अपने घोड़े (सुलतान) को देते हैं। यानी जितना समय बचता, वे उसी समय में घोड़े की सेवा करते।
विचार:
- इससे पता चलता है कि बाबा भारती को अपने घोड़े से बहुत लगाव (प्यार) है।
- वे भजन और सेवा दोनों में संतुलन बनाए रखते हैं—पहले प्रभु की भक्ति, फिर घोड़े की देखभाल।
- हमें भी दिन में प्रभु, परिवार और दोस्तों के लिए समय निकालना चाहिए।
2. “बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।”
उत्तर:
सरल अर्थ: बाबा भारती को अपने सुंदर और बलवान घोड़े पर गर्व था, इसलिए वे उसे गर्व के साथ दिखा रहे थे। और खड्गसिंह को घोड़ा देखकर बहुत हैरानी हुई क्योंकि ऐसा घोड़ा उसने कभी नहीं देखा था।
विचार: इस पंक्ति से दोनों पात्रों की भावना पता चलती है — बाबा की खुशी और डाकू की लालच से भरी हैरानी।
Another Answer:
अर्थ: जब डाकू खड्गसिंह बाबाजी के पास आया, तब बाबा गर्व (घमंड नहीं, लेकिन एक तरह के आत्मविश्वास) से बोला कि यह मेरा प्यारा घोड़ा है, देखो कितना सुंदर है। खड्गसिंह ने घोड़े को देखते ही चौंक (आश्चर्य) कर दिया—क्योंकि उसने भी इतनी सुंदर, तेज़ और ताकतवर घोड़ा पहले कभी नहीं देखा था।
विचार:
- “घमंड से दिखाना” यहाँ गलत नहीं, बल्कि घोड़े पर गर्व और आत्मविश्वास दिखाने के लिए कहा गया है।
- खड्गसिंह का “आश्चर्य” इस बात की ओर इशारा करता है कि घोड़ा वाकई अद्भुत था।
- हमें भी वो चीज़ दिखाने में शर्म नहीं करनी चाहिए, जिसमें हमें गर्व हो—जैसे हमारी कक्षा की अच्छी किताबें, हमारा अच्छा व्यवहार, या प्रतिभा।
3. “वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
उत्तर:
सरल अर्थ: खड्गसिंह डाकू था। उसे जो चीज़ अच्छी लगती थी, वह उसे जबरदस्ती ले लेने का हक समझता था।
विचार: यह डाकू के गलत सोच और लालच को दिखाता है। उसे किसी की चीज़ चुराने में गलत नहीं लगता था।
Another Answer:
अर्थ: खड्गसिंह एक डाकू (लुटेरा) था। उसका स्वभाव ऐसा था कि अगर उसे कुछ बहुत सुंदर या कीमती दिख जाता, तो वह सोचता कि वह उसे ले सकता है, क्योंकि वो डाकू है। उसे लगता कि जो उसे अच्छा लगे, वह उसका ही होना चाहिए।
विचार:
- इससे हमें पता चलता है कि डाकू की सोच selfish (स्वार्थी) थी—वो दूसरों को नहीं सोचता था, सिर्फ़ अपनी जरूरत और पसंद।
- यह लंबा समय नहीं चलता, क्योंकि ऐसे व्यवहार से भरोसा टूट जाता है।
- हमें ऐसी सोच से बचना चाहिए; अगर हमें कोई चीज़ अच्छी लगती भी है, तो ज़रूरी नहीं कि हम उसे ले लें। पहले पूछना या मदद करना चाहिए।
4. “बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
उत्तर:
सरल अर्थ: जब डाकू घोड़ा चुराकर भागा और बाबा ने उसे रोका, तो उन्होंने बहुत दुख और दर्द से भरी नजरों से उसकी तरफ देखा — जैसे कोई जानवर कसाई को देखता है।
विचार: यह पंक्ति बाबा भारती के गहरे दुख, हार और त्याग को दिखाती है। फिर भी उन्होंने गुस्सा नहीं किया, बल्कि घोड़ा उसे सौंप दिया।
Another Answer:
अर्थ: जब बाबा भारती ने देखा कि अपाहज खड्गसिंह घोड़े पर सवार हो गया, तब वे पास जाकर उसे ऐसे घूरकर देखे जैसे कोई बकरा कसाई (जिससे बकरा बहुत डरता है) की ओर देखता है। वह नजर बहुत कठोर और ठंडी होती है। फिर बाबा ने ठंडे शब्दों में कहा, “यह घोड़ा अब तुम्हारा हो गया है।”
विचार:
- यह वाक्य दिखाता है कि बाबा भारती उस समय बहुत गुस्सा और दुखी थे, पर उन्होंने फिर भी शारीरिक रूप से हमला नहीं किया, सिर्फ़ भाव-भंगिमा (नज़र से डराना) और शब्दों से विरोध जताया।
- “बकरा कसाई की ओर देखता है” का मतलब है कि जिस तरह बकरा कसाई के पास जाते ही डर जाता है, उसी तरह खड्गसिंह ने बाबा की इस कड़क नजर से डर महसूस किया।
- यह हमें सिखाता है कि कभी-कभी ज़बरदस्त गुस्सा हमें शांत रहने नहीं देता, लेकिन हमें हिंसा या बहुत बड़ी मार-पीट करने से बचना चाहिए।
5. “उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
उत्तर:
सरल अर्थ: अगली सुबह बाबा भारती अपने घोड़े को देखने के लिए चल पड़े, लेकिन जैसे ही अस्तबल के पास पहुँचे, उन्हें लगा कि वो भूल कर रहे हैं — क्योंकि घोड़ा तो चोरी हो गया था।
विचार: इस पंक्ति से बाबा भारती की उम्मीद और फिर निराशा दिखाई देती है। वो चाहते थे कि घोड़ा मिल जाए, पर मन में ये भी था कि शायद अब वो कभी न मिले।
Another Answer:
अर्थ: जब सुबह बाबा भारती अपने घोड़े की रक्षा के लिए अस्तबल (घोड़े का घर) की ओर जा रहे थे, तब उनके पैर जैसे अपने आप अस्तबल की तरफ़ बढ़ रहे थे। लेकिन जैसे ही वे घुड़साल के द्वार (फाटक) पर पहुँचे, उन्हें अहसास हुआ कि “यहाँ आना मेरी भूल थी”—क्योंकि अब घोड़ा चोर खड्गसिंह ले गया है, अस्तबल के पास आकर हृदय दुखी हो गया।
विचार:
- इस वाक्य से हमें पता चलता है कि जब हम कोई काम करने निकलते हैं, तो कभी-कभी मन हमारा साथ नहीं देता—उदाहरण के लिए, हम अपने दोस्तों से मिलने जाते हैं, पर बीच में याद आता है कि होमवर्क रह गया है।
- बाबा को लगा कि वे अपने प्यारे घोड़े को बचाने जा रहे, पर जब फाटक पर पहुँचे, तो याद आया कि घोड़ा चोरी हो चुका—इसे “भूल” कहा गया है।
- हमें भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी काम पर भागते समय पहले सोच लें कि क्या वो काम अभी संभव है या नहीं। इससे हमें बेवजह दुःखी होने से बचना होगा।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।”
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था?
उत्तर:
इस पंक्ति में बाबा भारती और डाकू खड्गसिंह — इन दोनों के आँसुओं की बात हो रही है।
खड्गसिंह ने घोड़ा वापस करके उसी जगह पर रोया था, और बाद में जब बाबा भारती घोड़े को देखकर भावुक हुए, तो उनके आँसू भी उसी स्थान पर गिरे।
इस तरह दोनों के आँसू एक ही मिट्टी पर मिले।
Another Answer:
- बाबा भारती के आँसू
- डाकू खड्गसिंह के आँसू
दोनों रात में एक ही जगह—अस्तबल के सामने—रोए थे, इसलिए उनकी आँसुओं की एक–सी मिट्टी में मिल गई।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था?
उत्तर:
खड्गसिंह के आँसू — पछतावे (पश्चाताप) के आँसू थे। उसे अपनी गलती पर बहुत अफसोस हुआ।
वह बाबा भारती की नेकी और विश्वास देखकर बहुत भावुक हो गया।
बाबा भारती के आँसू — खुशी और राहत के आँसू थे। उन्हें लगा कि अब लोग गरीबों और जरूरतमंदों पर विश्वास करना नहीं छोड़ेंगे। उनका प्यारा घोड़ा भी वापस मिल गया था।
अंतर: एक के आँसू गलती और शर्म के थे, और दूसरे के आँसू प्रेम, क्षमा और खुशी के।
Another Answer:
- बाबा भारती के आँसू
- उनका रोना था दया, क्षमा और वेदना का।
- उन्होंने घोड़ा खोने का दुःख महसूस किया, लेकिन गरीबों के भरोसे की चिंता से भी रोए थे।
- इनके आँसू शुद्ध प्रेम और करुणा से निकले थे।
- खड्गसिंह के आँसू
- उसका रोना था पश्चाताप और शर्म का।
- उसे दुःख था कि उसने बाबा का घोड़ा धोखे से चुरा लिया और बाबा को कष्ट दिया।
- इसके आँसू में अपराधबोध (गिल्टी फीलिंग) और पछतावे का भाव था।
अतः, दोनों एक ही धरती पर रोए, पर बाबा के आँसू में प्रेम–करुणा थी, जबकि खड्गसिंह के आँसू में अपराधबोध–पछतावा था। दोनों भाव एक ही मिट्टी में मिलकर यह दिखाते हैं कि एक तरफ क्षमा की ताकत थी और दूसरी तरफ अपराधबोध ने इंसान का दिल बदल दिया।
यह पंक्ति बहुत भावनात्मक और गहरी है, जो कहानी की सबसे सुंदर बात को बताती है — “असली जीत दिल की होती है, हथियारों की नहीं।”
दिनचर्या
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं।
उत्तर:
नीचे हमने बताया है कि बाबा भारती दिन भर में क्या-क्या करते होंगे। कहानी में जो बातें मिलीं, उन पर हम थोड़ा-बहुत कल्पना भी जोड़ रहे हैं—
बाबा भारती की दिनचर्या (कल्पना के साथ)
- बाबा भारती बहुत सुबह उठते थे।
- वे ठंडे पानी से स्नान करते और भगवान की पूजा करते थे।
- पूजा के बाद वे थोड़ा विश्राम करते थे।
- फिर वे अस्तबल जाकर अपने घोड़े सुलतान की देखभाल करते थे।
- वे खुद उसे दाना खिलाते और साफ़-सफाई करते थे।
- दोपहर में वे शांत जगह बैठकर भगवत भजन करते थे।
- शाम के समय वे सुलतान पर चढ़कर घूमने जाते थे।
- लौटकर फिर से कुछ समय पूजा और भजन करते थे।
- रात में वे साधु की तरह सादा भोजन करते और जल्दी सो जाते थे।
- कभी-कभी रात को भी वे अस्तबल की रखवाली करते थे।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए।
उत्तर:
अब अपनी रोज़ की दिनचर्या लिखते हैं। आप इसे देख कर अपने हिसाब से थोड़ा-बहुत बदल सकते हैं।
मेरी दिनचर्या:
- मैं सुबह 6 बजे उठता/उठती हूँ।
- उठकर दांत साफ करता/करती हूँ और नहाता/नहाती हूँ।
- फिर मैं भगवान को प्रणाम करता/करती हूँ।
- नाश्ता करके स्कूल जाता/जाती हूँ।
- स्कूल में मैं पढ़ाई करता/करती हूँ, खेलता/खेलती हूँ और दोस्तों से बातें करता/करती हूँ।
- दोपहर को घर लौटकर खाना खाता/खाती हूँ।
- थोड़ी देर आराम करता/करती हूँ।
- फिर होमवर्क करता/करती हूँ और खेलने जाता/जाती हूँ।
- शाम को टीवी देखता/देखती हूँ या किताबें पढ़ता/पढ़ती हूँ।
- रात को खाना खाकर भगवान को धन्यवाद देता/देती हूँ और सो जाता/जाती हूँ।
Another Set of Answers:
(क) बाबा भारती की दिनचर्या
- बहुत सुबह उठना
- बाबा भारती सूर्योदय से पहले ही जाग जाते।
- उठते ही ठंडे पानी से स्नान करते।
- प्रातःकाल भजन और ध्यान
- स्नान के बाद सीधे भगवान का भजन करते।
- भजन में ध्यान लगाकर देर तक बैठते।
- भजन के बाद थोड़ी देर मौन रहकर मन शांत करते।
- सुलतान को खाना-पानी देना
- भजन खत्म होने के बाद वे अपने घोड़े सुलतान के पास गए।
- साफ बाल्टी में पानी देते और अच्छी दाना-चारा खिलाते।
- उनकी हाथों से ही रोज चारा-कहररा दिया जाता था।
- सुलतान की देखभाल करना
- घोड़े की ग्रुंडी (खोखा) सफाई करते।
- सुलतान के पैर धोकर मालिश करते, ताकि उसके पैर मजबूत रहें।
- कंधे पर ब्रश चलाकर उसकी चोटी (माने) और पूँछ संवारते।
- थोड़ा आराम / चुप्पी में बैठना
- देखभाल के बाद कुछ देर आसन बिछाकर बैठे रहते।
- इसी समय कुछ लोगों को भजन की लोरी सुनाने या ज्ञान देने जाते।
- दोपहर का समय
- दोपहर में साधारण भोजन करते (रोटी, दाल, चावल)।
- भोजन के बाद थोड़ा विश्राम लेते, शायद छाया में बैठकर ध्यान करते।
- कभी-कभी आसपास के गाँव के कुछ लोग उनसे मिलते, सलाह लेते।
- संध्या से पहले तैयारी
- जैसे ही शाम होने लगती, सुलतान की लगाम-सौंग (टैकल) तैयार करते।
- हल्की हवा में सुलतान को तैयार करके उसके पैरों में जूते (आयरन) कसते।
- शाम का सवारी समय
- शाम के समय सुलतान की पीठ पर चढ़कर आठ- दस मील की सवारी करते।
- चलते-चलते घोड़े की चाल देखते और खुशी मनाते।
- रास्ते में कुछ क्षण रुककर आस-पास के गाँव-खेत देखते।
- रात को फिर सुलतान की रखवाली
- वापस आते ही सुलतान को अस्तबल में ले जाते।
- फिर से पानी बदल देते और चारा रखते।
- घोड़े की जुताई, खाल का निरीक्षण करके उसे चारा खिलाकर आराम देते।
- फिर अस्तबल के पास ही रातभर पहरा देते।
- कभी-कभी रात में जागकर भजन भी करते।
- देर रात का विश्राम
- पूरी रात अस्तबल के करीब रहते, ताकि कोई चोर-डाकू सुलतान को न ले जाए।
- कभी-कभार जागते-जागते सूर्योदय देख लेते।
इस तरह से बाबा का पूरा ध्यान सुलतान की सेवा और भगवान भजन में रहता था।
(ख) मेरी (छात्र की) दिनचर्या
- सुबह का समय
- मैं सुबह छह बजे उठता/उठती हूँ।
- उठकर नहा-धोकर दाँत ब्रश करता/करती हूँ।
- साफ कपड़े पहनकर अलमारी से बैग निकालता/निकालती हूँ।
- नाश्ता और स्कूल के लिए तैयार होना
- माँ/पिताजी मुझें नाश्ता खिलाते हैं—रोटी, पराठा, आलू के पराठे या पोहा।
- नाश्ता करके किताबें-कलम-कॉपी बैग में रखता/रखती हूँ।
- नाश्ते के बाद स्कूल की पास और पहचान पत्र तैयार कर लेता/लेती हूँ।
- स्कूल जाना
- सात बजे घर से निकलकर पैदल/साइकिल/स्कूल बस से स्कूल जाता/जाती हूँ।
- स्कूल पहुँचकर बस्ता विद्यालय के लकर में रख देता/देती हूँ।
- स्कूल में पढ़ाई
- आठ बजे क्लास शुरू होती है।
- सबसे पहले सुबह की प्रार्थना और राष्ट्रगान।
- फिर टीचर हमें विषय (हिंदी, गणित, अंग्रेजी, विज्ञान) पढ़ाते हैं।
- घंटी बजने पर हमें पानी पीना या टॉयलेट जाना होता है।
- फिर अगले विषय की पढ़ाई।
- बीच में पाँच मिनट के छोटे-छोटे ब्रेक होते हैं।
- दोपहर का भोजन
- बारह बजे लंच ब्रेक होता है।
- अपनी पसंद का टिफिन (रोटी/चावल, सब्ज़ी, सलाद, दही) खाने के लिए जाते हैं।
- खाने के बाद थोड़ा गपशप या खेलते हैं।
- फिर क्लास में लौटकर बाकी की पढ़ाई करते हैं।
- वापस घर आना
- तीन बजे स्कूल छूटता है।
- मैं घर वापस आता/आती हूँ।
- घर पहुँचते ही पहले हाथ-मुँह धोंता/धोंती हूँ।
- शाम का समय (अध्ययन और खेल)
- तीन से चार बजे तक आराम करता/करती हूँ।
- फिर चार बजे से पांच तक होमवर्क और ट्यूशन की तैयारी करता/करती हूँ।
- पाँच से छह बजे तक बस थोड़ा-बहुत खेलने के लिए बाहर निकलता/निकलती हूँ (क्रिकेट, कबड्डी, साइकल)।
- रात का भोजन
- शाम छह बजे तक वापस घर आकर नहल-धोलकर शाम की रिपोर्टर (टीवी पर समाचार) देखता/देखती हूँ।
- रात सात बजे परिवार के साथ साथ में खाना खाता/खाती हूँ।
- खाने के बाद थोड़ा टीवी या किताब पढ़ता/पढ़ती हूँ।
- रात की तैयारी
- आठ बजे होमवर्क पूरा करता/करती हूँ।
- किताबें और बैग अगले दिन के हिसाब से तैयार करता/करती हूँ।
- फिर दाँत ब्रश करके स्कूल यूनिफॉर्म अच्छी तरह टांग देता/देती हूँ।
- सोने से पहले
- रात नौ बजे कुछ पलों के लिए डायरी में थोड़ा-बहुत लिखता/लिखती हूँ—जैसे अपना दिन कैसा बीता।
- फिर बिस्तर पर लेटकर माँ/पिताजी से अच्छी रात कहता/कहती हूँ।
- रात दस बजे बत्ती बुझते ही सो जाता/जाती हूँ।
इस तरह हम विद्यार्थी पढ़ाई, खेल और आराम का संतुलन रखते हुए दिन बिताते हैं।
कहानी की रचना
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे-शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें।
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर: (संभावित उत्तर बच्चों के लिए)
- मुझे बाबा भारती की दया और अच्छाई बहुत पसंद आई।
- उन्होंने डाकू को माफ कर दिया, यह बात मुझे सबसे अच्छी लगी।
- कहानी में सुलतान घोड़े का सुंदर और खास होना भी अच्छा लगा।
- कहानी का अंत भावुक और प्रेरणादायक है — जब डाकू पछताता है और घोड़ा लौटाता है।
- यह बात बहुत अच्छी लगी कि बाबा ने कहा —
“अगर लोग यह जान गए तो वे गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे।”
कुल मिलाकर कहानी सिखाती है कि भलाई कभी हारती नहीं।
Another Answer:
कहानी में कई महत्वपूर्ण संवाद हैं। इन संवादों ने पात्रों के मनोभाव और कहानी की गहराई को बयां किया। नीचे कुछ प्रमुख संवादों पर ध्यान देते हैं:
- “मैं सुलतान के बिना नहीं रह सकता।”
- परिस्थिति: बाबा भारती अपने घोड़े से कितना लगाव रखते हैं, यह वाक्य दर्शाता है।
- भाव: इसमें प्यार और भावुकता महसूस होती है। हमें पता चलता है कि बाबा के लिए सुलतान कितना अनमोल था।
- “बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूँगा।”
- परिस्थिति: खड्गसिंह घोड़ा चुराकर भागते समय यह वचन सुनाता है।
- भाव: इसमें डाकू का अहंकार और लालच झलकता है—उसके मन में घोड़ा पाने की तीव्र इच्छा है।
- “यदि लोग इस घटना का पता लगा लेते हैं तो वे गरीबों पर भरोसा करना छोड़ देंगे।”
- परिस्थिति: बाबा भारती ने घोड़ा चुराने के बाद डाकू से यही कहा था।
- भाव: इस संवाद में पिता जैसा करूणा-पूर्ण भाव दिखाई देता है—बाबा गरीबों के प्रति लोगों का विश्वास बचाना चाहते थे।
- “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
- परिस्थिति: जब डाकू चुपके से घोड़ा चुराकर भाग रहा होता है, बाबा हिम्मत जुटा कर उसे यह वचन कहते हैं।
- भाव: इस वचन में बाबा का दुख और त्याग साफ़ झलकता है। वे अपना प्रिय घोड़ा तो लौट रहे हैं, पर डाकू के सामने विनम्रता बनाए रख रहे हैं।
- दोनों के आँसू मिले…
- परिस्थिति: रात को खड्गसिंह ने घोड़ा लौटा दिया, फिर दोनों (बाबा और डाकू) हीँ रोए।
- भाव: संवाद नहीं होते, पर यह दृश्य संवाद से ज्यादा बात कहता है—बाबा के आँसू खुशी के और डाकू के आँसू पछतावे के।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे-शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें।
उत्तर:
- इस कहानी में संवाद (dialogues) बहुत असरदार और भावपूर्ण हैं।
- संवादों के ज़रिए ही हम पात्रों की सोच और भावनाएं समझ पाते हैं।
जैसे:- खड्गसिंह का कहना: “बाबा, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूँगा।”
- बाबा का जवाब: “कहीं लोग गरीबों पर विश्वास करना न छोड़ दें।”
- संवादों में साधारण शब्दों का उपयोग किया गया है, जिससे बच्चे भी कहानी को आसानी से समझ सकते हैं।
- संवादों ने कहानी को सजीव बना दिया है — ऐसा लगता है जैसे सब हमारे सामने हो रहा हो।
- संवादों से ही यह पता चलता है कि बाबा भारती दयालु, समझदार और बड़े दिल वाले इंसान हैं, और खड्गसिंह लालची लेकिन बाद में पछताने वाला इंसान है।
Another Answer:
संक्षेप में संवादों की विशेषताएँ:
- भावुकता और वास्तविकता: संवादों में पात्रों के मन के भाव साफ दिखते हैं—बाबा की ममता, डाकू की लालच, और अंत में दोनों के मिलाजुला दुःख-सुख।
- चरित्र उभारना: छोटे-छोटे संवादों से ही हमें पता चलता है कि बाबा भारती साधु होते हुए भी इंसान की भौतिक भावनाओं से अछूते नहीं। खड्गसिंह के शब्दों से उसका स्वाभिमान और बाद में पछतावा साफ़ दिखता है।
- कहानी को आगे बढ़ाना: हर संवाद से कहानी का एक नया मोड़ आता है—घोड़े का परिचय, चोर का प्रयास, माफी-की अपील और अंत में पछतावे की सीख।
मुहावरे कहानी से
(क) कहानी से चुनकर कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं- लट्टू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए।
उत्तर: कहानी से मुहावरे और उनके अर्थ (कहानी के आधार पर) नीचे दिए गए हैं समझने के लिए:
मुहावरा | सरल अर्थ | कहानी में प्रयोग और मतलब |
---|---|---|
लट्टू होना | बहुत ज़्यादा पसंद करना, दीवाना हो जाना | बाबा भारती सुलतान की चाल पर लट्टू थे। यानी उसे देखकर बहुत खुश होते थे। |
हृदय पर साँप लोटना | बहुत जलन या दुख होना | जब खड्गसिंह ने घोड़े की चाल देखी, तो उसके हृदय पर साँप लोट गया — यानी उसे बहुत जलन हुई। |
फूले न समाना | बहुत ज़्यादा खुशी होना | बाबा भारती घोड़े की सुंदरता और चाल देखकर फूले नहीं समाते थे। |
मुँह मोड़ लेना | नज़रअंदाज़ करना, रिश्ता तोड़ लेना | बाबा भारती ने अंत में सुलतान से मुँह मोड़ लिया, जैसे उसका कोई संबंध ही न रहा हो। |
मुख खिल जाना | चेहरा खुशी से चमक उठना | सुलतान को देखकर बाबा भारती का मुख खिल जाता था। |
न्योछावर कर देना | सब कुछ बलिदान कर देना | बाबा भारती ने सुलतान के लिए अपना प्यार न्योछावर कर दिया। |
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए।
उत्तर:
- लट्टू होना
– मोहन तो नई साइकल पर ऐसा लट्टू हो गया कि सोते समय भी उसी की बात करता है। - हृदय पर साँप लोटना
– जब रीना ने नई ड्रेस पहनी, तो सीमा के हृदय पर साँप लोट गया। - फूले न समाना
– परीक्षा में अच्छे अंक देखकर पापा फूले न समाए। - मुँह मोड़ लेना
– जब रमेश ने झूठ बोला, तो उसके दोस्त ने उससे मुँह मोड़ लिया। - मुख खिल जाना
– दादी का बच्चों को देखकर हमेशा मुख खिल जाता है। - न्योछावर कर देना
– माँ ने तो अपने बच्चों की खुशी पर सब कुछ न्योछावर कर दिया।
कैसे-कैसे पात्र
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं- बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुलतान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द-चित्रों को पूरा कीजिए-

उत्तर:
नीचे तीन मुख्य पात्रों—बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुलतान घोड़ा—के गुण बताने वाले शब्द दिए गए हैं। जहाँ एक–एक गुण पहले से लिखकर दिया गया है, बाकी की खाली जगहों पर आप खुद सोच कर भर सकते हैं।
आइए हम आपके लिए (बच्चों के लिए) हर पात्र के लिए उपयुक्त शब्द जोड़कर शब्द-चित्र पूरा करते हैं:
बाबा भारती
पहले से दिया गया: दयालु
- साधु
- संयमी
- सच्चे भक्त
- त्यागी
- क्षमाशील
डाकू खड्गसिंह
पहले से दिया गया: बाहुबली
- लालची
- चालाक
- निर्दयी (शुरुआत में)
- पश्चाताप करने वाला (अंत में)
- बदलने वाला
सुलतान घोड़ा
पहले से दिया गया: सुंदर
- तेज
- बलवान
- प्रिय (बाबा भारती का)
- चालाक
- वफादार
One More Set of Answers:
1. बाबा भारती
(दिए गए शब्दचित्र में “दयालु” पहले से लिखा है; बाकी पाँच स्थानों पर ये शब्द भरें।)
- दयालु
- शांत
- विनम्र
- उदार
- श्रद्धालु
- धर्मनिष्ठ
संक्षिप्त अर्थ / भाव:
- दयालु: दूसरों के दुख-दर्द को ढाँपना, माफ़ करना
- शांत: चित शांत रखना, कभी गुस्सा नहीं करना
- विनम्र: बड़ा होकर भी घमण्ड नहीं करना
- उदार: जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार
- श्रद्धालु: प्रभु में पूर्ण विश्वास रखना
- धर्मनिष्ठ: न सही रास्ते से हटना नहीं
2. डाकू खड्गसिंह
(दिए गए शब्दचित्र में “बहुबली” पहले से लिखा है; बाकी पाँच स्थानों पर ये शब्द भरें।)
- बहुबली
- लालची
- निर्दयी
- चालाक
- पश्चातापी
- अभिमानी
संक्षिप्त अर्थ / भाव:
- बहुबली: बहुत ताकतवर, बहुत फ़ौजी, हिम्मत वाला
- लालची: जो चीज़ें पसंद आ जाएँ, उन्हें हथियाना चाहे
- निर्दयी: दूसरों की पीड़ा देखकर भी न मृदु होना
- चालाक: धोखा देकर अपना काम निकाल लेना
- पश्चातापी: गलती महसूस करके पछतावा करना
- अभिमानी: अपने बल-बलौटे पर घमण्ड करना
3. सुलतान घोड़ा
(दिए गए शब्दचित्र में “सुंदर” पहले से लिखा है; बाकी पाँच स्थानों पर ये शब्द भरें।)
- सुंदर
- बलवान
- तेज़स्वी
- वफ़ादार
- निडर
- आकर्षक
संक्षिप्त अर्थ / भाव:
- सुंदर: रूप रूप से मन मोह लेने वाला
- बलवान: बहुत ताकतवर और स्वस्थ
- तेजस्वी: दौड़कर बहुत तेज़ स्थान कोईनु करना
- वफ़ादार: अपने स्वामी (बाबा भारती) पर पूर्ण निर्भय विश्वास रखना
- निडर: डर का नामो-निशान न होना
- आकर्षक: चाली-ढाली और चाल से सबको अपनी ओर खींचना
पाठ से आगे
सुल्तान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुलतान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती? स्वयं को सुलतान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए।
(संकेत – आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते हैं- मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ…..)
उत्तर:
🐴 सुलतान की कहानी (मैं सुलतान हूँ…)
मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ।
मुझे मेरे मालिक बाबा भारती ने यह नाम दिया है।
वे मुझे बहुत प्यार करते हैं। हर दिन खुद मुझे दाना खिलाते हैं, मेरी पीठ पर हाथ फेरते हैं, और शाम को मुझ पर बैठकर दूर तक घूमने जाते हैं।
मेरे मालिक बहुत अच्छे इंसान हैं। वे साधु हैं, भगवान का भजन करते हैं और सबकी मदद करते हैं।
एक दिन एक अजनबी आदमी आया — उसका नाम था खड्गसिंह। उसने मुझे देखा और मेरी चाल की बहुत तारीफ की।
बाबा खुश हुए और मुझे चलाकर दिखाया।
कुछ दिन बाद वही आदमी फिर आया, इस बार अपाहिज बनकर। बाबा ने उसकी मदद की और मुझे उसे बैठाकर ले जाने लगे।
तभी वह छल कर गया — उसने लगाम खींची और मुझे तेज दौड़ा दिया।
मैं कुछ समझ नहीं पाया… मेरे मालिक पीछे रह गए।
मेरा दिल टूट गया था।
पर वह आदमी भी बाद में चुपचाप मुझे वापस लेकर आया। वह बहुत पछता रहा था।
जब बाबा सुबह मुझे देखने आए, तो उन्होंने मेरे गले से लगकर रोते हुए कहा,
“अब कोई गरीबों की मदद से मुँह नहीं मोड़ेगा।”
मुझे भी बहुत खुशी हुई — मैं अपने मालिक के पास वापस था।
सीख (सुलतान की जुबानी):
मैंने देखा कि प्यार और भलाई की ताकत इतनी बड़ी होती है कि एक डाकू का भी मन बदल सकता है।
One More Story:
मेरा नाम सुलतान है। मैं एक सुंदर और तेज़ घोड़ा हूँ।
मुझे मेरे मालिक बाबा भारती बहुत प्यार करते हैं। वे मुझे रोज़ अपने हाथों से दाना खिलाते हैं और शाम को मुझ पर बैठकर घूमने जाते हैं।
एक दिन एक डाकू खड्गसिंह ने धोखे से मुझे चुरा लिया।
बाबा को बहुत दुख हुआ, लेकिन उन्होंने डाकू से बदला नहीं लिया।
उन्होंने बस इतना कहा — “कृपया इस घटना को किसी से मत कहना।”
बाबा की नेकी और दया देखकर डाकू को पछतावा हुआ और उसने मुझे वापस बाबा को लौटा दिया।
अब मैं फिर से बाबा भारती के साथ हूँ।
मन के भाव
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था-

उत्तर:
भाव | कौन अनुभव कर रहा था? | कब/क्यों अनुभव किया? |
---|---|---|
चकित | खड्गसिंह | जब उसने पहली बार सुलतान को देखा, तो वह उसकी सुंदरता देखकर चकित रह गया। |
प्रसन्नता | बाबा भारती | जब वे सुलतान पर सवार होकर घूमने निकलते थे, तो उनके चेहरे पर प्रसन्नता होती थी। |
अधीर | खड्गसिंह | जब वह सुलतान को देखने की चाह में बाबा भारती के पास आया था। |
डर | बाबा भारती | जब खड्गसिंह ने कहा कि वह घोड़ा नहीं रहने देगा, तब बाबा बहुत डर गए थे। |
करुणा | बाबा भारती | जब खड्गसिंह ने अपाहिज बनकर मदद माँगी, तब बाबा ने करुणा के कारण उसे घोड़े पर चढ़ा लिया। |
निराशा | बाबा भारती | जब सुलतान चोरी हो गया और वे अस्तबल के पास पहुँचे, तब उन्हें बहुत निराशा हुई। |
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए।
(संकेत- जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा आदि का अनुभव करना)
उत्तर: मैं इन भावों को कब-कब अनुभव करता/करती हूँ?
- चकित – जब मैं पहली बार झूले में बहुत ऊपर गया, तो मैं चकित रह गया।
- प्रसन्नता – जब मुझे मेरे जन्मदिन पर उपहार मिला, तब मैं बहुत प्रसन्न हुआ।
- अधीर – जब माँ ने कहा कि शाम को पार्क चलेंगे, तब मैं अधीर हो गया खेलने के लिए।
- डर – एक दिन गली में एक बड़ा कुत्ता भौंकता हुआ आया, तब मैं डर गया।
- करुणा – एक दिन मैंने एक घायल चिड़िया देखी, तो मुझे करुणा आई।
- निराशा – जब मेरा मनपसंद खिलौना टूट गया, तो मुझे बहुत निराशा हुई।
झरोखे से
आप जानते ही हैं कि लेखक सुदर्शन ने अनेक कविताएँ भी लिखी हैं। आइए, उनकी लिखी एक कविता पढ़ते हैं-

उत्तर:
कविता: वह चली हवा – का भावार्थ:
इस कविता में लेखक ने हवा की सुंदरता और अदृश्यता को दिखाया है।
हवा को हम नहीं देख सकते, लेकिन उसके असर को पेड़-पत्तों और उड़ते पंछियों पर देखकर समझ सकते हैं।
कवि कहते हैं —
हमें हवा नहीं दिखती, पर पत्ते हिलते हैं, खुश होते हैं, इसका मतलब है कि हवा आई है और उन्हें छू गई है।
साझी समझ:
आपको इस कविता में क्या अच्छा लगा? आपस में चर्चा कीजिए और अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
✅ उत्तर (अपने उत्तर बच्चे स्वयं बना सकते हैं):
- मुझे यह कविता बहुत प्यारी और सरल लगी।
- इसमें हवा को अदृश्य दोस्त की तरह बताया गया है, जो हमें नहीं दिखती, लेकिन प्रकृति को छूकर चली जाती है।
- मुझे यह पंक्ति बहुत पसंद आई — “पर पत्तों ने तो देख लिया, वरना वे खुशी मनाते क्यों?”
- यह दिखाता है कि कभी-कभी जो चीज़ें दिखाई नहीं देतीं, उनका असर बहुत गहरा होता है।
- कविता में प्रकृति का प्यार, खेल और खुशी की भावना है — जो बच्चों को बहुत भाती है।
खोजबीन के लिए
सुदर्शन की कुछ अन्य रचनाएँ पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड या इंटरनेट या पुस्तकालय की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।
उत्तर:
कवि सुदर्शन एक प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार थे, जिनकी प्रमुख रचनाएँ ‘अँधेरी दुनिया’, ‘बात अठन्नी की’ और ‘हार की जीत’ हैं. इसके अलावा, उन्होंने ‘सन्यासी’, ‘तीर्थ-यात्रा’, ‘पत्थरों का सौदागर’ और ‘पृथ्वी-वल्लभ’ जैसी रचनाएँ भी लिखीं.
सुदर्शन की प्रमुख रचनाएँ:
- सन्यासी
- अँधेरी दुनिया
- बात अठन्नी की
- हार की जीत
- तीर्थ-यात्रा
- पत्थरों का सौदागर
- पृथ्वी-वल्लभ
- धूप-छाँव:
(फ़िल्म के गीत “तेरी गठरी में लागा चोर”, “बाबा मन की आँखें खोल” को सुदर्शन ने ही लिखा है)